दमोह . शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का यही बाक़ीनिशां होगा। जगदंबा प्रसाद मिश्र’हितैषी द्वारा रचित यह वाक्यांश वीर शहीदों को श्रृद्धांजलि अर्पित करता है। शौर्य, वीरता की इस परंपरा को याद करते हुए दमोह एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी, एएसपी सुजीत भदौरिया व अन्य अधिकारी जिले के दूरस्थ गांव चौरईया के उस स्थल पर पहुंचे, जहां दस्युमुठभेड़ के दौरान एक डीएसपी सहित दो अन्य अधिकारियों ने पुलिस सेवा के दौरान अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। घटना 20 दिसंबर 1966 की है। पुलिस और डकैतों के बीच जमकर मुठभेड़ हुई थी।
शहीद दिवस पर किया याद
21 अक्टूबर को हर साल की तरह पुलिस महकमें द्वारा शहीद दिवस मनाया गया, लेकिन इस बार एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी, एएसपी सुजीत सिंह भदौरिया, एसडीओपी, थाना प्रभारी मडि़यादो, सहित पुलिस बल के कई अधिकारी और जवान चौरइयािस्थत शहीद स्मारक स्थल पर पहुंचे और शहीदों को याद कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए साथ ही राष्ट्रगान के साथ मौन रखकर श्रद्धांजलि दी।
पहली बार पहुंचे उच्च अधिकारी
बता दें कि स्मारक स्थल पहुंच मार्ग काफी दुर्गम है, जो जंगल,खेतों से होकर जाता है। यहां चार पहिया वाहन का पहुंचना संभव नहीं है। अधिकारी पगडंडी से होकर पैदल स्मारक स्थल पर पहुंचे। गौरतलब है कि शहीद स्थल पर पहली बार इस वर्ष वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, एसडीओपी सहित पूरा अमला उपस्थित हुआ। इस अवसर पर एएसपी सुजीत भदौरिया ने जानकारी दी है कि स्मारक स्थल को विकसित करने के प्रयास होंगे, जिससे यहां विशेष अवसरों पर कार्यक्रमों का आयोजन हो सके साथ ही शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने का अधिकअधिक अवसर मिले। उन्होंने कहा कि इस स्थल पर किस तरह के विकास हो सकते हैं इस पर चर्चा की गई है।
मिट्टी में मिला गौरव, पीढ़ियों को मिली प्रेरणा
एसपी श्रुतकीर्ति ने कहा कि इस भूमि की मिट्टी में उन वीर जवानों का रक्त मिला हुआ है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। यह दिन हमें न केवल गर्व से भर देता है, बल्कि कर्तव्यनिष्ठा और देशभक्ति की भावना को भी प्रज्वलित करता है।
दस्यु मुठभेड़ में शहीद हुए थे तीन वीर
20 दिसंबर 1966 की शाम जिले के हटा अनुविभाग के मडियादो थाना क्षेत्र की चौरईया घाटी में दस्युओं से मुठभेड़ के दौरान डीएसपी कृष्ण मित्र चतुर्वेदी, मेजर बाबू सिंह कुशवाहा और मुखबिर हजरत खान शहीद हो गए थे। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, इन तीनों को दस्युओं ने निर्ममता से हत्या कर दी थी। बाद में इन वीर शहीदों की स्मृति में पुलिस द्वारा शहीद स्मारक का निर्माण कराया गया थ्रा, इन शहीदों की वीरता और बलिदान का गुणगान करता है।









