
दमोह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो सोमवार शाम दमोह पहुंचे। यहां उन्होंने गाड़ीखाना स्थित वाल्मीकि वार्ड में सफाईकर्मियों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं। इसके बाद उन्होंने मिशन अस्पताल में हुए कथित फर्जी डॉक्टर एन. जॉन केम के इलाज से 7 मरीजों की हुई मौत के मामले पर प्रेस वार्ता को संबोधित किया।
वार्ता के दौरान प्रियंक कानूनगो ने कहा कि मिशन अस्पताल “मौत का अस्पताल” साबित हुआ है, जहां सात निर्दोष लोगों की जान गई। उन्होंने कहा कि इतने गंभीर मामले में अब तक दोषियों की गिरफ्तारी न होना प्रशासन की मिलीभगत को दर्शाता है। कानूनगो ने दमोह पुलिस प्रशासन पर भी कार्रवाई में लापरवाही और पक्षपात के आरोप लगाए।
कांग्रेस के पूर्व मंत्री मुकेश नायक द्वारा हाल ही में मिशन अस्पताल को दोबारा शुरू करने की मांग को लेकर सवाल उठाए थे और और विभिन्न आरोप राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो पर लगाए थे।
वहीं पूछे गए इस सवाल पर प्रियंक कानूनगो ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा— “मुकेश नायक अब बूढ़े और बेरोजगार हो चुके हैं, और चंद पैसों के लालच में मिशनरी संस्था के पक्ष में बयान दे रहे हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि मौत के अस्पताल के बचाव में भी राजनीति की जा रही है।”

ज्ञात हो कि एक सप्ताह पहले पूर्व वित्त मंत्री व दमोह विधायक जयंत मलैया ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया था। निरक्षण के दौरान क्षमता से अधिक मरीजों की भरमार को देखकर उन्होंने भी मिशन अस्पताल मामले में प्रक्रिया दी थी और कहा था मिशन अस्पताल के बाद होने से जिला अस्पताल पर इसका लोड बढ़ रहा है। और लोग सीधे जिला अस्पताल पहुंच रहे है।

प्रियंक कानूनगो ने कहा कि मानवाधिकार आयोग इस मामले में पूरी गंभीरता से जांच कर रहा है, मामले में लिप्त कोई भी आरोपी बक्शा नहीं जाएगा। जल्द ही दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।








